Thursday, October 30, 2014

मोहना मेरे मनमोहना, तू कहाँ सो रहा है?



मोहना ओ मेरे मनमोहना, तू कहाँ सो रहा है?
             


मोहना ओ मेरे मनमोहना, तू कहाँ सो रहा है?
एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!

चीर हरण के समय, तूने द्रौपदी की लाज बचाई
इन बच्चियों की चीख, फिर क्यों न दी सुनाई ?
इंसान पतन की ओर, पर तू क्यों पथरा रहा है
एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!

धर्म की हानि होने पर, अवतार लेने की कसम
क्या भूल गया भारत की, पाप-मुक्ति की रसम
तेरी इस धरा पर अधर्म, का चरम पार हो रहा है
एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!

बस! अब और नहीं, ऐसा कुछ भी सहा जाता
राधा-मीरा न सही, गोपियों से भी तो था नाता
उसी नाते की लाज रखने में, क्यों देर हो रहा है

एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!



बांसुरी की तान में यूँ, तुम सुध बुध भूलो मत
खोखली जमीन पर उगे, कदम्ब पर झूलो मत
उठाओ चक्र और दिखादो, पाप नाश हो रहा है

एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!

 
मोहना ओ मेरे मनमोहना, तू कहाँ सो रहा है?
एकबार आके देख तो सही, यहाँ क्या हो रहा है!


-उषा तनेजा 

Saturday, January 25, 2014

गणतंत्र दिवस पर मेरी वेदना



हर रोज़ आता है मुझे सपना, आज़ादी के मतवालों का;
क्यों भुला दिया है अहसान, भारत माँ के रखवालों का?
आज़ादी दिलवाई उन्होंने, स्वराज और स्वाभिमान की,
क्यों स्वार्थ हमारा हावी हुआ, भूले महत्ता राष्ट्राभिमान की?

आत्मा चीख-चीख पुकार रही, बंद करो सब ढोंगी होंसले,
दृष्टी है तो फिर उठकर देखो, गरीबों के मन रुपी घोंसले;
त्रस्त किया है जन को तुमने, झूठ, बेईमानी, घूसखोरी से,
क्या होगा सजा कर राज-पथ, दिखावे की मधु चटकोरी से?
...उषा तनेजा 'उत्सव'

Sunday, April 21, 2013

घिसी पिटी राहों पे चलना मेरा शौक नहीं


आशा वादी बनिए सफलता आपके अन्दर है-

घिसी पिटी राहों पे चलना मेरा शौक नहीं
चूहे बिल्ली की दौड़ दौड़ना मेरा शौक नहीं
जिस मंजिल पर लगी हों सब की निगाहें
उसे अपनी मंजिल बनाना मेरा शौक नहीं.

लोग कहते है-
काँटों पर चलकर नहीं देखा तो क्या देखा
अंगारों पर जलकर नहीं देखा तो क्या देखा
पर ए दुनिया वालों-
एक ही मंजिल पर भीड़ बढाने के लिए
बेवजह अपने पाँव दुखाना मेरा शौक नहीं.

जानती हूँ अपने शौक को, गर्व है अपने हुनर
लाख भागे दुनिया, हथियाने औरों का हुनर
मैं हूँ ऐसा पारस गुमनाम और छुपा हुआ
पत्थर को पत्थर समझना मेरा शौक नहीं.

जिस दिशा भी चली उसे ही राह बना लिया
जहाँ भी डाला डेरा मंजिल को वहीँ पा लिया
भटके भले ही दुनिया बेहतर की चाह में
पर जिंदगी भर भटकना मेरा शौक नहीं.

-उषा तनेजा

जाने कैसे बढ़ चली, दिल की धड़कन

जाने कैसे बढ़ चली, दिल की धड़कन
आज चहकने लगी, दिल की फडकन
शब्दों में कुछ भी, ना सुनूँ बेशक
तेरी आहट है, कहे दिल की धड़कन. 

सात घोड़ों पे आती है, ऊषा की किरण 
नई उम्मीदें लाती है, ऊषा की किरण 
रात बूँद बन गिरे, जो चांदनी के आंसू 
उनको मोती बनाये, ऊषा की किरण. 

चाँद के साए में लगा, कि तुम आए
सपने आँखों में सजे, कि तुम आए
आँख खोलने से, लगता डर मुझको
सपना ही न रह जाए, कि तुम आए. www.blogvarta.com

क्या हम एक दुसरे को पहचानते हैं?

आप हमें जानते हैं 
हम आपको जानते हैं
पर 
दोनों में अकड़ इतनी है कि
जब कहीं भी मिल जाएँ तो 
ऐसे नज़रें फेर कर निकल जाते हैं 
जैसे
न हम आपको पहचानते हैं 
न आप हमें पहचानते हैं.

Song - Beautiful Girl - written and sung by Sash Taneja

www.blogvarta.com
A new talent.
The Wait is FinallY OveR....
Here is the download Link for my 1st Try, Self-Composed Love Song:
"BEAUTIFUL GIRL"
http://www.hulkshare.com/6u4pfaxnf0cg

Hope yu LiKe it...:)

पगली सी इक लड़की

पगली सी इक लड़की, AB-ख़्वाब देखे घडी-घडी 
पाँव के नीचे धरती नहीं, आसमाँ में उड़े खड़ी-खड़ी 
कहाँ वो ब्रहमांड का नक्षत्र, ये राख में दबी चिंगारी 
कब आके गले लगाएगा, सोच रही 'बुद्धू' पड़ी-पड़ी 

AB= अमिताभ बच्चन