मन में भावों के उमड़ते, घुमड़ते तूफानों को शब्दों में सहेजकर सुकून मिलता है.
Sunday, April 21, 2013
पगली सी इक लड़की
पगली सी इक लड़की, AB-ख़्वाब देखे घडी-घडी पाँव के नीचे धरती नहीं, आसमाँ में उड़े खड़ी-खड़ी कहाँ वो ब्रहमांड का नक्षत्र, ये राख में दबी चिंगारी कब आके गले लगाएगा, सोच रही 'बुद्धू' पड़ी-पड़ी AB= अमिताभ बच्चन
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